विभिन्न गैसों का मिश्रण जिसने पृथ्वी को चारों ओर से ढका हुआ है अर्थात गैसीय आवरण को वायुमंडल कहा जाता है. इसके अलावा वायुमंडल में धूल के कण और जलवाष्प भी उपस्थित रहती है. वायु का कुल द्रव्यमान का 99% भाग 32किलोमीटर की ऊचाई तक प्राप्त होता है.
वायुमंडल का संघटन
गैस – वायुमंडल में विभिन्न प्रकार की गैसें पायी जाती है. जिनका अनुपात लगभग इस प्रकार है –
- नाइट्रोजन – 78.3%
- ऑक्सीजन – 20.99%
- आर्गन: 0.94%
- कार्बन-डाई-ऑक्साइड – 0.03%
- अन्य – बाकि%
वातावरण में उपस्थित कार्बन-डाई-ऑक्साइड (Co2) सौर्यिक विकिरण हेतु पारदर्शी है, वही पार्थिक विकिरण को अवशोषित करती है, अर्थात पृथ्वी का तापमान अत्यधिक काम नहीं होता है. इसके परिणाम स्वरूप ही पृथ्वी पर दिन और रात के तापमान में बहुत अधिक अंतर नहीं पाया जाता है.
धूलकण – वायुमंडल में छोटे – छोटे ठोस कण भी प्राप्त होते है. ये कण विभिन्न स्रोतों जैसे समुद्री नमक, महीन मृदा, धुयें की कालिख, रख व उल्का के टूटे हुए कण हो सकते है. धूलकण आद्रताग्राही केन्द्रक के रूप में कार्य करते है, तथा बादल निर्माण, वर्षा, हिमपात आदि क्रियाओं में सहायक होती है.
जलवाष्प – यह परिवर्तनशील गैस है तथा ऊचाई के साथ इसकी मात्रा घटती रहती है, गर्म एवं आद्र कटिबंधों में यह वायु के आयतन का 4% होती है, जबकि ठन्डे एवं गर्म मरूस्थलों में इनकी मात्रा 1% से भी कम होती है. विषुवत से ध्रुवों की ओर जलवाष्प की मात्रा कम होती है.