डीएनए फिंगर प्रिंटिंग जैव-प्रोधोगिकी की एक विलक्षण देन है. सामान्यतः इस तकनीक का उपयोग आपराधिक मामलों की गुत्थियां सुलझाने के लिए किया जाता है. इस तकनीक का मुख्य आधार मनुष्य में पाया जाने वाला DNA है, जिसकी पुनरावृति प्रत्येक मनुष्य में असमान होती है. अर्थात प्रत्येक मनुष्य का डीएनए पैटर्न अलग-अलग (unique) होता है. जिस कारण इस तकनीक का प्रयोग मनुष्य की पहचान सुनिश्चित करने के लिए की जा सकती है. जिस कारण इस तकनीक को डीएनए फिंगर प्रिंटिंग कहा जाता है.
डीएनए फिंगर प्रिंटिंग के उपयोग
इस तकनीक का उपयोग बच्चे के वास्तविक माता-पिता का पहचान करने, जैविक सबूतों के आधार पर अपराधी को पकड़ने, पैतृक सम्पत्ति संबंधित दावे वाले मामलों के निपटारे के लिए, वंशानुगत बिमारियों की पहचान और उनके उपचार के लिए किया जा रहा है. आज कल कुछ देश सेना आदि संगठनों का डीएनए फिंगर प्रिंटिंग का रिकॉर्ड भी रख रही है जिससे आवश्यकता पड़ने पर उनकी पहचान आसानी से की जा सके.