वायुदाब – मध्य समुद्र तल से वायुमंडल की ऊपरी सीमा तक एक इकाई क्षेत्रफल के वायुस्तंभ के भार को वायुमंडलीय दाब कहते है. समुद्र तल पर वायुदाब का औसत मान 1013.2 मिलीवार(MB)होता है.
1 मिलीवार =10.20kg / m²
वायुदाब पेटियां
विषुवतीय निम्न वायुदाब पेटी
सूर्यातप की सर्वाधिक मात्रा इस क्षेत्र में प्राप्त होने के कारण वायु का घनत्व बहुत कम हो जाता है. जिस कारण इस क्षेत्र में निम्न वायुदाब विकसित हो जाता है. यहाँ पवन की गति बराबर होती है. केवल संवहन के परिणाम स्वरूप वायु में ऊपर की ओर गति देखी जाती है. महासागरीय क्षेत्रों में प्राचीन काल में पवन की क्षैतिज गति न होने के कारण पालवाली नौकाएं वहा स्थिर हो जाती थी. अतः इस क्षेत्र को डोलड्रम पेटी भी कहा जाता है.
ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी
ध्रुवों पर तापमान बहुत कम होने के कारण वायु की सघनता/घनत्व में वृद्धि होती है. जिस कारण इस क्षेत्र में अत्यधिक वायुदाब प्राप्त होता है.
उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी
उष्ण कटिबंधीय निम्न वायुदाब क्षेत्र की संवहनीय पवनें 30°-35° अक्षांशों पर अवतलित होती है, तथा उच्च वायुदाब का विकास करती है. उच्च कटिबंधीय निम्न वायुदाब की संवहनी धाराएं कॉरिऑलिस प्रभाव के कारण अपनी दीक्षा में विचलित हो जाती है, तथा ध्रुवों की ओर न जाकर 30°-35°अक्षांशो पर केंद्रित हो जाती है.
अतः मूलतः कॉरिऑलिस बल ही उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी के विकास का मूल कारण है.
उपधुवीय निम्न वायुदाब पेटी
उपोष्ण उच्च वायुदाब क्षेत्र से चलने वाली पछुवा पवनें तथा ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी से चलने वाली ठंडी पूर्वा पवनें 60°-65° अक्षांशों पर जब मिलती है तो ध्रुवीय ठंडी पवन पछुवा गर्म पवनों को ऊपर धकेल देती है. जिस कारण वायुदाब में कमी आती है, तथा उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी का विकास होता है.