हड़प्पा की कहानी
इस अध्याय में भारत के सबसे प्रसिद्ध सभ्यताओं में से एक हड़प्पा की चर्चा की गई है।
- हड़प्पा सभ्यता लगभग 150 वर्ष पहले पंजाब में रेलवे लाइन बिछाते समय इंजीनियर को मिले।
- यह नगर आधुनिक पाकिस्तान के पंजाब और सिंधु प्रांतो, एवं भारत के गुजरात ,राजस्थान, हरियाणा और पंजाब प्रांतो मे मिले है।
- इन शहरों का निर्माण 4700 वर्ष पहले हुआ था या 2700 ईसा पूर्व।
- 80 साल पहले पुरातत्त्वविदों ने इस स्थान को ढूंढा।
- हड़प्पा रावी नदी किनारे स्थित है।
हड़प्पा सभ्यता की विशेषताए
- नगर दो से ज्यादा हिस्सों में विभाजित थे।
- कुछ भाग छोटे थे लेकिन ऊंचाई पर बने थे और पूर्वी हिस्सा बड़ा था लकिन यह निचले हिस्से में थे।
- ऊंचाई वाले भाग को पुरातत्त्वविदों ने नगर दुर्गा कहा और निचले हिस्से को निचला नगर कहा गया है।
- दोनों हिस्से की चहर दिवारियााँ पईटों की बानी थे।
- नगर दुर्गा में कुछ खास इमारतें भी बनाए गयी जैसे मोहनजोदड़ो में महँ स्नानागार।
- इसमें पानी को रोकने के लिए प्लास्टर के ऊपर चारकोल की परत चढ़ाए गई थी।
- इसमें उतरने के लिए दो तरस से सीढियाँ बनाई गई थी और चारो ओर कमरे बनाए गई थे।
नगर और नए शिल्प
- पुरातत्त्वविदों को जो चीजें वह से मिली हैं उनमें से ज़्यदातर चीजें शंख ,पत्थर ,तांबे ,सोना,चाँदी ,कांसा जैसे धातुओं से बनाई गई थी।
- सोने और चाँदी से गहने और बर्तन बनाए जाते थे।
- ताँम्बें और काँसे से औजार ,गहने,बर्तन बनाए जाते थे।
- यहाँ से मिली सबसे आकर्षक वस्तुओ मे बाट ,फलक और मनके है।
- लोग पत्थर की मोहरे बनाते थे।
भवन ,नाले और सड़के
- मकान के बीच में एक ‘आंगन’ होता था।
- आंगन के चारों ओर चार-पांच बड़े कमरे ‘रसोईघर’ एवं ‘स्नानागार’ के साथ बने होते थे।
- स्नानागार गली की ओर बने होते थे।
- कुछ बड़े आकार के भवन मिले हैं जिसमें 30 कमरे तक बने होते थे एवं दो मंजिले भवन का भी अवशेष मिला है।
- कुछ घरो में अलग स्नान घर हुआ करते थे और कुछ घरो में कुएँ हुआ करते थे।
- सड़कें पूर्व से पश्चिम एवं उत्तर से दक्षिण की ओर जाती हुई एक दूसरे को समकोण पर काटती थी।
- मोहनजोदाड़ो में पाये गये मुख्य मार्गो की चौड़ाई लगभग 9.15 मीटर एवं गलियां क़रीब 3 मीटर चौड़ी होती थी।
- सड़को का निर्माण मिट्टी से किया गया था।
- सड़को के दोनो ओर नालियों का निर्माण पक्की ईटों द्वारा किया गया था
- कई नगरों में नाले हुआ करते थे और उनको घरों के नाली से जोड़ा जाता था।
नगरीय जीवन
- हड़प्पा के नगर जाल की तरह व्यवस्थित थे।
- तदनुसार सड़कें एक दूसरे को समकोण पर काटती थी।
- प्रत्येक नगर दो भागों में विभक्त थे, पश्चिमी टीले एवं पूर्वी टीले।
- पश्चिमी टीले अपेक्षाकृत ऊँचे, किन्तु छोटे होते थे।
- इन टीलों पर किले अथवा दुर्ग स्थित थे।
- पूर्वी टीले पर नगर या आवास क्षेत्र के साक्ष्य मिले हैं।
- यह टीला अपेक्षाकृत बड़ा था। इसमें सामान्य नागरिक, व्यापारी, शिल्पकार, कारीगर और श्रमिक रहते थे।
- दुर्ग के अन्दर मुख्यतः महत्वूपर्ण प्रशासनिक और सार्वजनिक भवन तथा अन्नागार स्थित थे।
- यहाँ के शासक नगर की खास इमारते बनाने की योजना मई जुटे रहते थे।
- इन नगरों में लिपिक भी होते थे जी मुहरो पर लिखते थे।
- इन नगरों व आस पास के स्थान पर तरह-तरह की चीज़े बनाते होंगे।
हड़प्पा सभ्यता में आयात
- हडप्पा के लोग ताँबे का आयात सम्भवतः आज के राजस्थान से करते थे।
- पश्चिम एशियाई देश ओमान से भी ताँबे का आयात किया जाता था।
- काँसा बनाने के लिए ताबे के साथ मिलाई जाने वाली धातु टिन का आयात आधुनिक ईरान और अफ़गानिस्तान से किया जाता था।
- सोने का आयात आधुनिक कर्नाटक से किया जाता था।
- सोना– आधुनिक कर्णाटक से
- टिन-आधुनिक ईरान और अफगानिस्तान से
- तांबा– राजस्थान, एशियाई देश ओमान से
भोजन
- लोग आनाज उगते थे और जानवर पालते थे।
- हड़प्पा के लोग गेहू, जौ, तिल और धान, दाल, सरसो, मटर आदि उगाया करते थे।
- लोग गाय, भैंस, भेड़, बकरियां पालते थे।
- वह लोग जानवरों का शिकार भी करते थे।
कुछ महत्वपूर्ण तिथियां
- हड़प्पा नगरों का अंत – 3900 वर्ष पहले
- कपास की खेती – 7000 वर्ष पहले
- नगरों का आरम्ब – 4700 वर्ष पहले
- नगरों का विकास – 2500 वर्ष पहले
आओ याद करे
प्रश्न 1.पुरातत्त्वविदों को कैसे ज्ञात हुआ कि हड़प्पा सभ्यता के दौरान कपडे का उपयोग होता था ?
उत्तर:- 7000 साल पहले कपास की खेती किए जाने के प्रमाण मिले है। मोहनजोदड़ो में कुछ वस्तुओ पर कपडे के अबशेस लिपटे मिले है। मोहनजोदड़ो में एक पत्थर की मूर्ति मिली है ,उसमे मूर्ति को वस्त्र पहने दिखाया गया है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित का सुमेल करो :
ताँम्बा | गुजरात |
सोना | अफगानिस्तान |
टिन | राजस्थान |
बहुमूल्य पत्थर | कर्नाटक |
उत्तर:-निम्न का सम्मेलन इस प्रकार है:
ताँम्बा | राजस्थान |
सोना | कर्नाटक |
टिन | अफगानिस्तान |
बहुमूल्य पत्थर | गुजरात |
प्रश्न 3: हड़प्पा के लोगो के लिए धातुएं ,लेखन,पहिया और हल क्यों महत्वपूर्ण थे?
उत्तर :- हड़प्पा के लोगो के लिए धातुएं ,लेखन,पहिया और हल निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण थे :-
धातुएं- लोग धातुओं का प्रयोग बर्तन और आभूषण बनाने के लिए करते थे। तांबा, टिन और सोना सबसे महत्वपूर्ण धातुए थी।
लेखन– हड़प्पा के लोगो की अपने विशेष लिपि थी। हड़प्पा से मिले अवशेस में इस लिपि के बड़े बड़े अक्षरों को पत्थरो में खुदा पाया गया है।
इस प्रकार की लिपि मुहरों पर छपी मिली है।
पहिया– छकड़ो और गाड़ियो को खींचने के काम आते थी। इसके सहयता से मिट्टी के बर्तन भी बनाए जाते थे।
हल– हल का प्रयोग खेती बाड़ी करने के काम आता था।
आओ चर्चा करे:-
प्रश्न 4: इस अध्याय में पक्की मिट्टी (टेराकोटा) से बानी सभी खिलौनों की सूची बनाओ। इनमे से कौन-से खिलौने बच्चो को ज्यादा पसंद आए होंगे?
उत्तर:- लोगो ने कई प्रकार के खिलोने बनाए थे और खिलौना- गाड़ी , हल तथा पशु-पक्षियों के नमूने प्रमुख थे। इन खिलौनों में से बच्चो को गाड़ियों के नमूने अधिक पसंद आए होंगे।
प्रश्न 5: हड़प्पा के लोगो की भोजन सामग्री की सूची बनाओ। आज इनमे से तुम क्या-क्या खाते हो?
उत्तर:- गेहू ,जौ, डालें धान, मटर, तिल, सरसो। यह सभी चीज़े लोग आज भी खाते है।
प्रश्न 6: हड़प्पा के किसानो और पशुपालकों का जीवन क्या उन किसानों से भिन्न था, जिनके बारे में तुमने पिछले अध्याय में पढ़ा है?
उत्तर:- हड़प्पा संभ्यता एक नगर प्रधान संभ्यता थी। हड़प्पा के किसानों और पशुपालकों का जीवन पहले के किसानों और पशुपालकों के जीवन से भिन्न रहा है। पहले के पशुपालक अपने स्वयं के उपभोग के लिए उत्पादन करते थे ,जबकि हड़प्पा के किसान नगरों में रहने वाले अन्य शिल्पकारों के लिए भी भोजन का उत्पादन करते थे।