भ्रंश (Fault)

भ्रंश (Fault)

भ्रंश
तनाव मूलक भू संचरण की तीव्रता के कारण भूपटल की शैलों में दरार उत्पन्न हो जाता है, जिन्हें भ्रंश कहा जाता है| भ्रंश मूलतः चार प्रकार के होते है-

(1) समान भ्रंश (Normal Fault)
जब शैल के दोनों खंड एक दुसरे के विपरीत दिशा में खिसक जाते है| तब सामान्य भ्रंश का विकास होता है, अर्थात सामान्य भ्रंश की उत्पत्ति हेतु तनावमूलक बल उत्तरदायी है|

(2) वियुत्क्रम भ्रंश (Reverse)
चट्टानों में दरार के फलस्वरुप दोनों खंड एक दूसरे की ओर विस्थापित होते है, फलस्वरूप निर्मित भ्रंश को वियुत्क्रम भ्रंश की संज्ञा दी जाती है| अर्थात वियुत्क्रम भ्रंश के विकास हेतु संपीड़नात्मक बल उत्तरदायी है|

(3) पार्श्वीय भ्रंश (Lateral Fault)
जब संचरण की दिशा क्षैतिज हो, इस गति से पार्श्व भ्रंश का विकास होता है|

(4) सोपानी भ्रंश
किसी क्षेत्र में एक दूसरे के सामानांतर एक से अधिक भ्रंश होते है, एवं सभी भ्रंशों का ढाल समान्यतः एक ही दिशा में हो ऐसे भ्रंश को सोपानी भ्रंश कहा जाता है|

भ्रंश घाटी
तनाव मूलक बल के कारण जब दो समानांतर भ्रंशों के बीच का शैलीय खंड का निमंजन (धसाव) हो जाता है| इस प्रकार निर्मित घाटी को भ्रंश घाटी कहा जाता है| ग्रेबन भ्रंश घाटी की आरंभिक अवस्था है|

उदाहरण -मृत सागर बेसिन (Dead Sea)
दक्षिण कैलिफ़ोर्निया की मृत घाटी (Dead Velly)
नर्मदा, ताप्ती, दामोदर नदी घाटी
अफ्रीका की महा भ्रंश घाटी
जब दो भ्रंश रेखाओं के मध्य का स्थलखंड स्थिर रहे तथा दोनों किनारों के भाग ऊपर उठ जाते हैं, रैम्प घाटी का विकास होता है|

उदाहरण – भारत की ब्रह्मपुत्र नदी रैम्प घाटी से होकर बहती है|

ब्लॉक पर्वत (Block Mountain)/हॉर्स्ट पर्वत
जब दो भ्रंशों के बीच का भाग यथावत बना रहे तथा किनारों के दोनों भागो का अवतलन हो जाये तो ऊपर उठे स्थलखंड को भ्रंशोत्थ ब्लाक अथवा हॉर्स्ट पर्वत संज्ञा दी जाती है|

जैसे – भारत का सतपुड़ा पर्वत, पाकिस्तान का साल्ट रेंज, जर्मनी का ब्लैक फारेस्ट

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