स्थलमंडल का विकास
प्रारम्भिक अवस्था में पृथ्वी अत्यंत तप्त तथा अस्थिर अवस्था में थी| परतु धीरे -धीरे पृथ्वी के ठंडे होने के क्रम में उसका सकुचन होता गया| शुरूआत में पृथ्वी में पृथ्वी भीतर से और गर्म होने लगे| पृथ्वी के संकुचन के क्रम में समस्त पदार्थो का भिन्न – भिन्न संस्तरों में एकत्रण होने लगा| इस प्रक्रिया के मेग्मा का पृथकरण कहा जाता है| मेग्मा का पृथकरण मूलतः दो प्रक्रियाओं के अलोक से हुआ|
1). पृथ्वी के घुर्णन के कारण – पृथ्वी के घुर्णन के कारण इसके समस्त पदार्थो में पृथक्करण की क्रिया होने लगी जिससे भारी पदार्थ केंद्र की ओर और हलके पदार्थ सतह की संचालित हुए|
2). घनीभूतिकरण – पृथ्वी के पदार्थ अपने अपने घनत्व के अलोक में भी पृथकरण की प्रक्रिया को तीव्र करने लगे|