भारत शासन अधिनियम-1919
भारत शासन अधिनियम-1919 की शुरुवात, 20 अगस्त, 1917 को ब्रिटिश द्वारा यह घोषित करते हुए हुआ जिसमे कहा गया कि उनका उद्देश्य भारत में क्रमिक रूप से उत्तरदायी सरकार की स्थापना करना था. इसी के तहत 1919 का भारत शासन अधिनियम बनाया गया. इस अधिनियम को मोंटेगू-चेम्सफोर्ड सुधार सुधार भी कहा जाता है. जिसमें मोंटेगू तात्कालिक भारत के राज्य सचिव और चेम्सफोर्ड भारत के वायसराय थे.
भारत शासन अधिनियम-1919 की विशेषताएं
- केंद्रीय एवं प्रांतीय विषयों को पृथक कर उनकी सूचियां बनायीं गयी तथा राज्यों पर केंद्रीय नियंत्रण को कम किया गया. केंद्र और राज्य को अपने विषय पर विधान बनाने के अधिकार दिया गया परन्तु सरकार का ढांचा केंद्रीय एवं एकात्मक ही बना रहा.
- इस अधिनियम द्वारा पहली बार द्विसदनीय व्यवस्था और प्रत्यक्ष निर्वाचन व्यवस्था शुरू की गयी.
- इस अधिनियम द्वारा गवर्नर-जनरल की कार्यकारिणी परिषद में छः सदस्यों में से तीन सदस्य (कमांडर-इन-चीफ को छोड़कर) भारतीय नियुक्त होने आवश्यक थे इन्हें विधि, श्रम, शिक्षा, स्वास्थ व उद्योग विभाग सौंपे गये.
- अधिनियम के द्वारा सांप्रदायिक आधार पर सिखों, ईसाईयों, आंग्ल-भारतीयों के लिए पृथक निर्वाचन की व्यवस्था की गयी.
- इस अधिनियम द्वारा सम्पत्ति, शिक्षा के आधार पर सिमित लोगों को मताधिकार प्रदान किया.
- इस अधिनियम ने पहली बार केंद्रीय बजट को राज्यों के बजट से अलग किया तथा राज्यों को अपना बजट बनाने का अधिकार दे दिया गया.
- इस अधिनियम के द्वारा एक वैधानिक आयोग भी गठित की गयी जिसका कार्य अगले दस वर्ष बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करना था.
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