मानसून
मानसून मूलतः बंगाल की खाड़ी, अरब सागर एवं हिन्द महासागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर आने वाली हवाओं को कहते हैं, जो दक्षिणी एशिया मुख्यतः भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं। ये मौसमी पवनें दक्षिणी एशियाई क्षेत्र में जून से सितंबर प्रायः चार माह तक सक्रिय रहती है। मानसून का व्यापक अर्थ है- ऐसी पवनें जो किसी क्षेत्र में किसी ऋतु-विशेष में ही अधिकांश वर्षा करती है।
इनकी दिशा दक्षिण-पश्चिम एवं दक्षिण से उत्तर एवं उत्तर पश्चिम की ओर होती है। इसी कारण इन्हें दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी हवाओं के नाम से भी जाना जाता है। ग्रीष्म ऋतु में मानसून हवाएं सागर से स्थल की ओर और शीतकाल में स्थल से सागर की ओर चलती है। अपनी दिशा मौसम के अनुसार बदलने के कारण ग्रीष्मकाल के मानसून को दक्षिण पश्चिम मानसून एवं शीतकाल के मानसून को उत्तर पूर्वी मानसून या लौटता मानसून कहते हैं। ये मानसूनी हवाएं इतनी प्रबल होती हैं कि इनके प्रभाव से उत्तरी हिंद महासागर में सागरीय धारा प्रवाहित होने लगती है तथा इन हवाओं की दिशा के साथ उक्त सागरीय धारा भी इन हवाओं की दिशा में अपनी दिशा बदल लेती हैं। यह घटना वर्ष में दो बार सागर की धरा जी दिशा बदल देती, एवं यह घटना केवल हिंद महासागर में होता है।
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मानसून के प्रकार
- पूर्वोत्तर (शीतकालीन) मानसून
- दक्षिण पश्चिम(ग्रीष्मकालीन) मानसून
- पूर्वोत्तर (शीतकालीन) मानसून
पूर्वोत्तर (शीतकालीन) मानसून
पूर्वोत्तर (शीतकालीन) मानसून भारतीय उपमहाद्वीप की जलवायु प्रणाली का एक स्थायी अंग है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department – IMD) के अनुसार पूर्वोत्तर मानसून अक्टूबर से दिसम्बर तक चलता है. इस अवधि में तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश के साथ-साथ तेलंगाना तथा कर्नाटक के कुछ भागों में इसके द्वारा बारिश होती है. यह मानसून पूर्वोत्तर से दक्षिण-पश्चिम के ओर चलते है. सामान्यतः ये मानसून 15 – 20 अक्टूबर के लगभग भारतीय उपमहाद्वीप प्रवेश करते है. इसी अमयवधि में यानि अक्टूबर के पूर्वार्द्ध में दक्षिण प्रायद्वीपीय क्षेत्र में हल्की वर्षा होती है जो वापस वापस लौट रहे ग्रीष्मकालीन मानसून के द्वारा होती है. ग्रीष्मकालीन मानसून सितम्बर माह के अंतिम सप्ताह के लगभग समाप्त या कभी – कभी इसके समापन 3 से 4 सप्ताह लग जाते हैं. वापसी में इस मानसून द्वारा अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक हल्की फुल्की वर्षा होते रहने की संभावना बनी रहती है.
दक्षिण पश्चिम(ग्रीष्मकालीन) मानसून
दक्षिण पश्चिम(ग्रीष्मकालीन) मानसून हिन्द महासागर एवं अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आने वाली हवाओं को कहते हैं. जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि देशों में भारी वर्षा करातीं हैं. ये मानसून ऐसी मौसमी पवन होती हैं, जो दक्षिणी एशियाई क्षेत्रों में जून से सितंबर के माह तक, प्रायः चार माह सक्रिय रहती है.