क्या बताती है प्रशस्तियाँ
- यह एक विशेष किस्म का अभिलेख है।
- प्रशस्ति एक संस्कृत शब्द है
- प्रशस्ति का अर्थ प्रशंसा होता है।
- समुद्रगुप्त के बारे में उसके दरबारी कवी हरिषेण दवारा करीब 1700 वर्ष पहले संस्कृत लिखी एक कविता से पता चलता है।
- प्रयाग, उज्जैन तथा पाटिलीपुत्र गुप्त शासन के महत्वपूर्ण केंद्र थे।
वंशावलियाँ
- अधिकांश प्रशस्ति शासको के पूर्वजो के बारे में बह बताते है।
- प्रशस्ति भी समुद्रगुप्त के प्रपितामह, पितामह यानी की परदादा, दादा, पिता और माता के बारे में बताती है।
हर्षवर्धन
- हर्षवर्धन आज से लगभग 1400 पहले राजा थे, जिसके बारे में उनके दरबारी कवि बाण भट्ट के उनकी जीवनी हर्षचरित में बताया हैं
- हर्षवर्धन के विषय में जानकारी हर्षचरित्र से मिलते है , जो उनके दरबारी कवी बाणभट्ट ने संस्कृत में लिखी है।
- चीनी तीर्थयात्री दरबार में काफी समय तक रहा।
- हर्षवर्धन अपने पिता और बड़े भाई की मृत्यु के बाद राजा बने थे।
- हर्षवर्धन ने जब नर्मदा नदी को पर क्र दक्क्न के आगे बढ़ने की कोसिस की तब चालुक्य नरेश पुकेशिन द्रितीय ने इसे रोक दिया।
पल्लव, चालुक्य और पुलकेशिन द्वितीय की प्रशस्तियां
- इस काल में पल्लव एवं चालुक्य दक्षिण के सबसे बड़े शासक थे. पल्लवों की राजधानी कांचीपुरम के आस-पास से कावेरी नदी के डेल्टा तक फैला था।
- चालुक्यों का राज्य कावेरी तथा तुंगभद्रा के बीच में स्थित था एवं इनकी राजधानी ऐहोल थी।
- पुलकेशिन द्वितीय सबसे बड़ा चालुक्य राजा था।
सेना
राजा एक सुसंगठित सेना रखते थे जिसमे हाथी, घुड़सवार रथ और पैदल सिपाही होते थे इसके साथ-साथ कुछ सैनिक भी हुआ करते थे।
दक्षिण के राज्यों में सभाएं
- पल्ल्वों के अभिलेखों में कई स्थानीय सभाओ की चर्चा की गई है।
- ब्राह्मण भूस्वामियों के संगठन को सभा कहते थे।
- जिन इलाकों के भूस्वामी ब्राह्मण नहीं थे वहा उर नामक ग्राम सभा के होने की बात कही गई।
- नजरम- व्यापारियों के एक समूह का नाम था।
उस ज़माने के आम लोग
- जनसंधारण के जीवन की थोड़ी बहुत झलक हमें नाटकों तथा कुछ अन्य स्त्रातों से मिलते है।
- कालिदास ने अपने नाटकों में राज-दरबार का चित्रण किया है।
- इसमें राजा और ब्राह्मण को बात करते दिखाया गया है।
- कालिदास के सबसे प्रसिद्ध नाटक अभिज्ञान सकुंतलम में दुष्यंत नामक एक राजा और शकुंतला नाम की एक युवकी की प्रेम कहानी है।
आओ याद करे
प्रश्न:- इस युग में सैन्य संगठन में क्या बदलाव आए?
उत्तर:- राजा एक सुसंगठित सेना रखते थे जिसमे हाथी, रथ। घुड़सवार और पैदल सिपाही होते थे। वह सेनानायक भी रखते थे जो आवश्यकता पड़ने पर राजा को सीनिक सहायता दिया करते थे। इनको कोई नियमित वेतन नहीं दिया जाता था। इन्हे भूमि दान दिया जाता था। वे दी गई भूमि से कर वसूल करते थे जिससे वो सेना तथा घोड़ो की देखभाल करते थे। सेनानायक सामंत कहलाते थे।
प्रश्न:- क्या प्रशस्तियों को पढ़कर आम लोग समझ लेते होंगे?
उत्तर :- प्रशस्तियों को पढ़कर आम लोग शायद ही समझ पाते होंगे क्योंकि वह संस्कृत में हुआ करते थे। संस्कृत आम लोगो की भाषा नहीं थी। कुछ हे लोग पढ़े -लिखे थे इसलिए प्रशस्तियों को पढ़ना और समझना सबके लिए संभव नहीं था।