लोहे के औजार और खती
- उपमहाद्वीप में लोहे का प्रयोग 3000 वर्ष पहले शुरू हुआ था।
- महापाषाण कब्रों में लोहे के औजार और हथियार बड़ी संख्या में मिले है।
गाँव में रहने वाले लोग
- गाँव में तीन प्रकार के लोग रहते थे।
- वेल्लाला- तमिल क्षेत्र में बड़े भू-स्वामी।
- उड़वार- साधारण हलवाहे।
- कदैसियर- भूमिहीन मजदूर और दास।
- अधिकांश गाँवो में लोहार, कुम्हार, बढ़ाई तथा बुनकर जेसे कुछ शिल्पकार भी होते थे।
तमिल रचनाएं
- यह की रचनाओं को संगम साहित्य कहते है।
- रचना-2300 वर्ष पहले।
- मदुरै के कवियों के सम्मेलनों में इनका सकलं किया जाता था।
आहत सिक्के
- चंडी या सोने के सिक्को पर विभिन्न आकृतियों को आहत कर बनाए जाने के कारण इन्हे आहत सिक्का कहा जाता था।
मथुरा नगर
- लगभग 2000 साल पहले मथुरा कुषाणों की दूसरी राजधानी बानी थी।
- यह यातायात और व्यापर के दो मुख्य रास्तो पर स्थित था।
- शहर के चारो और किले बंदी थे ,इसमें बहुत से मंदिर थे।
- यह भोत सी सुन्दर मूर्ति की रचना की गयी है।
शिल्प तथा शिल्पकार
- मिटटी के बहुत ही पतले सुन्दर और काळा चमकीले पात्र मिले है।
- यहाँ स्री-पुरुष दोनों काम किया करते थे।
- शिल्पकार तथा व्यापारी अपने-अपने संघ बनाने लगे थे। जिन्हे श्रेणी कहते थे।
- शिल्पकारओ की श्रेणियों का काम प्रशिक्षण देना था।
अरिकामेडु
- लगभग 2200 से 1900 साल पहले अरिकामेडु एक पत्तन था।
- यहाँ ईटो से बना एक ढाँचा मिला है जो संभवत: गोदाम रहा होगा।
- रोमन लैम्प, सीसे के बर्तन तथा रतन भी मिले है।
- अर्ध-बहुमूल्य पत्थरो से मनके बनाने के सांझे मिले है।
कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ
- लोहे के प्रयोग की शुरुआत- लगभग 3000 वर्ष पहले
- नगर,आहत सिक्के – लगभग 2500 वर्ष पहले
- अरिकामेडु का पत्तन – लगभग 2200 तथा 1900 वर्ष पहले
आओ याद करे
प्रश्न:- ग्राम-भोजकों के काम बताओ। वे शक्तिशाली क्यों थे?
उत्तर:- ग्राम-भोजकों के पद पर आमतौर पर गाँव का सबसे बड़ा भू-स्वामी होता था। इनकी जमीन पर इनके दास और मजदूर काम करते थे। इनके प्रभावशाली होने के कारण राजा भी कर वसूलने का काम इन्हे ही सोप देते थे। यह न्यायाधीस का काम भी किया करते थे।
प्रश्न:- गाँवो तथा शहरों दोनों में रहने वाले शिल्पकारों की सूची बनाओ।
उत्तर:- गाँवो तथा शहरों दोनों में रहने वाले शिल्पकारों की सूची कुछ इस प्रकार है :-
बढ़ई , बुनकर ,कुम्हार , सुनार , मूर्तिकार आदि।