हिमालय पर्वत
हिमालय पर्वत भारत के उत्तर में स्थित है. यह पूर्व से पश्चिम तक विस्तृत है. पूर्व से पश्चिम तक इसकी लम्बाई 2,400 किलोमीटर है. इस प्रकार इसका फैलाव पूर्व-पश्चिम तक दिशा में 22° देशांतर है. इसकी चौड़ाई कश्मीर में 500 किमी से अरुणांचल प्रदेश में 200 किमी है. एशिया महाद्वीप में 7,300 मीटर से अधिक ऊंची 94 चोटियां है, जिनमें 92 चोटिया हिमालय तथा कराकोरम पर है. अन्य किसी महाद्वीप में इतनी ऊँची चोटिया नहीं है.
हिमालय में 4 पर्वत चोटियों को निश्चित रूप से पहचाना गया है. जिनको निम्न प्रकार देखा जा सकता है-
वृहत हिमालय अथवा आंतरिक हिमालय (Great Himalayas Or Inner Himalayas)
यह हिमालय की सबसे ऊँची तथा दुर्गम श्रेणी है. इसे भारत के प्राचीन ग्रंथो में ‘हिमाद्रि’ के नाम से पुकारा जाता है. इसका कारण यह है कि यहा सदा हिमाच्छादित रहती है. इसका अन्य नाम महान हिमालय या मुख्य हिमालय है. यह सिंधु नदी के मोड़ से ब्रह्मपुत्र नदी के मोड़ तक लगभग 2,400 किलोमीटर लम्बी है.इसकी औसत चौड़ाई 25 किलोमीटर तथा ऊचाई 6,100 मीटर है. इसकी ऊचाई पश्चिम में नागा /नंगा पर्वत के रूप में 8,126 मीटर तथा पूर्व में नामचा बरवा पर्वत के रूप में 7,756 मीटर है. इस श्रेणी अधिकतम ऊंचाई इसके मध्यभाग में है जो नेपाल देश में स्थित है.
इस श्रृंखला की 40 चोटियों की ऊचाई 7,000 मीटर से अधिक है. बहुत सी चोटियां 8,000 मीटर से अधिक ऊंची है.
वृहत हिमालय की प्रमुख चोटिया
- एवरेस्ट – 8,850
- कंचनजंघा – 8,598
- मकालू – 8,481
- धौलागिरी – 8,172
- मसालू – 8,151
- अन्य – नागा पर्वत, अन्नपूर्णा, नंदा देवी, नामचा बारवा, बद्रीनाथ, त्रिशूल, नीलकंठ, केदारनाथ
वृहत हिमालय के प्रमुख दर्रे-
- कश्मीर – वर्जिल दर्रा व जोजिला दर्रा
- हिमाचल प्रदेश – बाड़ा लाचा ला, व शिपकी लॉ
- उत्तराखंड – थाग लॉ, नीति दर्रा, व लिपुलेख दर्रा
- सिक्किम – नाथू लॉ, जीलप लॉ
लघु हिमालय अथवा मध्य हिमालय
इसे हिमालय श्रेणी भी कहते है. यह वृहत हिमालय के दक्षिण में लगभग समानांतर पूर्व से पश्चिम दिशा में स्थित है. यह श्रेणी 60-80 किलोमीटर चौड़ी तथा 3,000 – 4,500 मीटर ऊँचीश्रृंखलाएं है तथा इसकी कई चोटिया 5,000 मीटर तक की ऊंचाई तक की है. इसका दक्षिणी ढाल उत्तरी ढाल उत्तरी ढाल की अपेक्षा अधिक तीव्र है. कश्मीर का पीर पंजाल श्रेणी मध्य हिमालय का पश्चिमी विस्तार है. इसकी उचाई 4,000 मीटर तथा इस क्षेत्र की सबसे लम्बी तथा महत्वपूर्ण श्रेणी है. यह श्रेणी झेलम तथा व्यास नदियों के बीच लगभग 400 किलोमीटर लम्बाई तक फैलकर इससे आगे दक्षिण पूर्वी दिशा में बढ़ जाती है. इसकी प्रमुख पर्वत श्रेणी धौलाधार – 2,205 (इस पर शिमला स्थित है) है.
लघु हिमालय अथवा मध्य हिमालय के प्रमुख दर्रे –
- पीरपंजाल श्रेणी – 3,494 मीटर
- बनिहाल दर्रा – 2,832 मीटर
लघु हिमालय अथवा मध्य हिमालय की प्रमुख घाटियां –
- कश्मीर घाटी
- काठमांडू घाटी
- काँगड़ा तथा कुल्लू घाटी (हिमाचल प्रदेश)
अधिकांश स्वास्थ्यवर्धक स्थल लघु हिमालय के दक्षिणी क्षेत्रों पर स्थित है. जिसमे कुछ प्रसिद्ध स्थान शिमला, मसूरी, डलहौजी, नैनीताल, दार्जलिंग है. जो 1,500 – 2,000 मीटर की उचाई पर स्थित है.
शिवालिक (The Shiwaliks)
यह लघु हिमालय के दक्षिण में इसके समानांतर पूर्व – पश्चिम दिशा में स्थित है. शिवालिक श्रेणी हिमालय की अन्य श्रेणियों की तुलना में बहुत छोटे आकर की है, इसलिए इसे उप – हिमालय (Sub-Himalayas) भी कहते है. हिमालय प्रदेश की बाहरी श्रेणी होने के कारण यह हिमालय की अंतिम श्रेणी है, और इसके दक्षिण में भारत का उत्तरी मैदान स्थित है. इसमें कही – कही कुछ घटिया पायी जाती है जिन्हें पश्चिम में दून (Doon) तथा पूर्व में दुआर कहते है. इसके कुछ उदाहरण – देहरादून (75 किमी. लम्बी, 15-20 किमी.), कोथरीदून तथा पाटलीदून.
ट्रांस हिमालय अथवा तिब्बत हिमालय
यह महान हिमालय के उत्तर में उसके समानांतर पूर्व से पश्चिम दिशा फैला हुआ है. इसका अधिकांश भाग तिब्बत में है, इसलिए इसे तिब्बत हिमालय भी कहा जाता है. इसकी प्रमुख पर्वत श्रेणियाँ लद्दाख, जास्कर, कैलाश, व कराकोरम है. इस श्रेणी की औसत ऊचाई 3,100 मीटर, चौड़ाई 225 किलोमीटर तथा लम्बाई 1,000 किलोमीटर, है.
ट्रांस हिमालय अथवा तिब्बत हिमालय की प्रमुख श्रेणियां –
- K2 अथवा (गॉडविन ऑस्टिन) – 8,611 मीटर (भारत की सबसे ऊँची तथा विश्व की दूसरी सबसे ऊँची श्रेणी)
- हिडन – 8,086 मीटर
- ब्रोडपीक – 8047 मीटर
- गाशेरब्रुम – 8,035 मीटर
पूर्वांचल हिमालय (Purvanchal Himalayas)
यह मुख्य रूप से हिमालय के पूर्व में स्थित है, जिस कारण इसे पूर्वांचल कहा जाता है. इस भाग को पूर्वी उच्च प्रदेश अथवा पूर्वी पहाड़ियां भी कहते है.ब्रह्मपुत्र नदी का दिहांग गार्ज पार करने के पश्चात् हिमालय पर्वत दक्षिण की ओर मुड़ जाता है, और पहाड़ियों की श्रृंखला का निर्माण करती है. ये पहाड़ियां अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा तथा पूर्वी असम में फैली हुई है.
अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग में मिशमी तथा पटकाई बुम पहाड़ियां है. मिशमी पहाड़ी का सबसे ऊँची चोटी कडाफा बुम है, जो समुद्र तल से 4,578 मीटर ऊँचा है. पटकाई बुम 2000-3000 मीटर ऊँची है, तथा भारत के अरुणाचल प्रदेश तथा म्यांमार में अंतराष्ट्रीय सीमा बनाती है. इस श्रेणी की सबसे ऊँची चोटी सारामती है. जो समुद्र तल से 3826 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इसके दक्षिण में कोहिमा पहाड़ी स्थित है, मणिपुर में स्थित है. ये भारत के मणिपुर तथा म्यांमार के अंतराष्ट्रीय सीमा का कार्य करती है.
बरेल श्रेणी नागा तथा मणिपुर पहाड़ीयों को एक दूसरे से अलग करती है. मणिपुर पहाड़ी की ऊंचाई 2500 मीटर है. उत्तरी कछार पहाड़ी पूर्वांचल तथा मेघालय के बीच स्थित है. इनकी औसत ऊंचाई 500-1000 मीटर है. पूर्वांचल के दक्षिणी भाग में मिजोरम राज्य की मिजो पहाड़ियां है. त्रिपुरा भारत के एक ऐसा राज्य है जो तीन ओर बांग्लादेश से घिरा है.
पूर्वांचल से जुड़ा हुआ अन्य राज्य मेघालय है इसकी तीन प्रमुख पहाड़ियां है. इसके पूर्वी भाग में जयंतिया, पश्चिम में गारो तथा इन दोनो के मध्य खासी पहाड़ियां स्थित है. गारो पहाड़ी के शिखर 1000 मीटर से अधिक ऊँचे है, जबकि खासी 1300-2000 मीटर ऊँची है. गारो पहाड़ी के दक्षिण की ओर सुरमा नदी का मैदान है जबकि खासी पहाड़ी के दक्षिण में चेरापूंजी का पठार स्थित है.