अक्षांश रेखाएँ
अक्षांश रेखाएँ भूमध्यरेखा के सामानांतर ग्लोब पर पूरब से पश्चिम की तरफ खीची जाने वाली काल्पनिक रेखाएँ है. 1° के अंतराल पर कल्पित किये जाने पर अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या 181 (90 + 90 + 1) और यदि ध्रुवों को रेखा न मानकर देखा जाय तो 179 बतायी जाती है। प्रत्येक 1° के अन्तराल पर दो क्रमागत अक्षांश रेखाओं की बीच की लम्बाई लगभग 111 किलोमीटर होती है, एवं दो अक्षांशो के बीच के क्षेत्र को कटिबंध कहते है. सामान अक्षांशो को मिलाने वाली रेखा को अक्षांशीय रेखा कहा जाता है.
पृथ्वी के किसी स्थान पर सूर्य की ऊँचाई उस स्थान के अक्षांश पर निर्भर करती है. न्यून अक्षांशों में दोपहर के समय सूर्य ठीक सिर के ऊपर रहता है. पृथ्वी पर सूर्य की किरणों की गरमी विभिन्न अक्षांशों पर अलग-अलग होती हैं. पृथ्वी पर किसी भी देश या नगर की स्थिति का निर्धारण उस स्थान के अक्षांश और देशांतर के द्वारा किया जाता है.
देशांतर रेखाएं
आक्षांश रेखा के लंबवत उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली अर्धवृत्ताकार रेखाओं को देशांतर रेखाएं कहा जाता हैं . ये काल्पनिक रेखाएं उत्तर से दक्षिण की ओर खींची जाती है . सम्पूर्ण पृथ्वी में कुल 360 देशांतर रेखाओं में विभाजित गया है. दो देशांतर रेखाओं के बीच अधिकतम दूरी भूमध्य रेखा के पास है जो 111.32 कि.मी. के लगभग है. भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर चलने पर देशांतर रेखाओं के बीच की दूरी घटती जाती है . इग्लेंड के ग्रीनविच से गुजरती हुई एक देशांतर रेखा को 0° डिग्री देशांतर अथवा प्रधान देशांतर रेखा” ( Prime Meridian ) जाता हैं . यह रेखा ग्रीनविच नामक शहर से गुजरती है जिस कारण इस रेखा को ग्रीनविच रेखा भी कहा जाता है.