Author name: Deep Bhatt

भूसंचलन

आंतरिक (अंतर्जात बल) पृथ्वी के आंतरिक भाग से निकलने वाली ऊर्जा भू आकृतिक प्रक्रियाओं के लिए मूल स्रोत होती है| ये ऊर्जा रेडिओधर्मी क्रियाओं घूर्णन तथा अवशिष्ट  ऊर्जा के द्वारा उत्पन्न  होती है| इन प्रक्रियाओं के अंतर्गत ज्वालामुखी, भूकंप तथा प्लेट विवर्तनिकी क्रियाएं होती है| बलन धरातली चट्टानों में संपीड़न के फलस्वरूप लहरों के रूप […]

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Internal structure of the earth

पृथ्वी की आतंरिक संरचना का अनुमान निम्न दो तरीको से लगाया जा सकता है – Internal structure of the earthप्रत्यक्ष स्रोत – ज्वालामुखी उदभेदन व खनन क्रियाओं द्वारा प्राप्त पदार्थो सके शोध द्वारा पृथ्वी के आतंरिक पदार्थो के सन्दर्भ में सूचनाएं प्राप्त की जा सकती है, परन्तु इस सूचनाओं की एक सीमा है| ये श्रोत

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अक्षांश एवं देशांतर रेखाएं

अक्षांश रेखाएँ अक्षांश रेखाएँ भूमध्यरेखा के सामानांतर ग्लोब पर पूरब से पश्चिम की तरफ खीची जाने वाली काल्पनिक रेखाएँ है. 1° के अंतराल पर कल्पित किये जाने पर अक्षांश रेखाओं की कुल संख्या 181 (90 + 90 + 1) और यदि ध्रुवों को रेखा न मानकर देखा जाय तो 179 बतायी जाती है। प्रत्येक 1°

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Distribution of earthquakes

भूकम्पों का वितरणभूकम्पों का वितरण ज्वालामुखी से मिलता-जुलता है, भूकंप विश्व के कमजोर भागो में ज्यादा आते है| इस प्रकार भूकम्पों का वितरण इस प्रकार देखा जा सकता है- प्रशांत महासागरीय पेटीविश्व के 68% भूकंप प्रशांत महासागर के तटीय क्षेत्रों में आते है| इसे अग्निवलय (Ring of fire) कहा जाता है| यहाँ पर ज्वालामुखी सबसे

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भ्रंश (Fault)

भ्रंश (Fault) भ्रंशतनाव मूलक भू संचरण की तीव्रता के कारण भूपटल की शैलों में दरार उत्पन्न हो जाता है, जिन्हें भ्रंश कहा जाता है| भ्रंश मूलतः चार प्रकार के होते है- (1) समान भ्रंश (Normal Fault)जब शैल के दोनों खंड एक दुसरे के विपरीत दिशा में खिसक जाते है| तब सामान्य भ्रंश का विकास होता

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सिंधु अपवाह तंत्र

भारत के उत्तर-पश्चिम में सिंधु तथा इसकी सहायक नदियां विस्तृत क्षेत्र में अपवाहित होती है. अकेले सिंधु नदी हिमालय प्रदेश में 2,50,000 वर्ग किमी. क्षेत्र में अपवाहित होती है. सतलुज, व्यास, चेनाब, झेलम तथा रावी नदी इसकी सहायक नदियां है. इसमें से झेलम पीर पंजाल से निकलती है. अन्य सभी नदियां हिमालय पर्वत से निकलती

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The Drainage System Of India

भारत का अपवाह तंत्रकिसी देश का अपवाह तंत्र वह के उच्चावच तथा भूमि के ढाल पर निर्भर करता है. भारत एक विशाल देश है इसके उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार है. जिसके बीच उत्तरी भारत का एक विशाल मैदान स्थित है. भारत में अनेक छोटी -छोटी नदियां है, जो देश के विभिन्न

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Indian Islands

भारतीय द्वीप (Indian Islands) – भारत में मुख्य स्थल के अतिरिक्त हिन्द महासागर में बहुत द्वीप है, भारत में कुल 247 द्वीप है जिनमे से 204 द्वीप बंगाल की खाड़ी में शेष द्वीप अरब सागर में स्थित है. बंगाल की खाड़ी के द्वीप जलमग्न टरशियरी पर्वतमाला के ऊपरी भाग है जबकि अरब सागर द्वीप प्राचीन

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The Coastal Plains

तटीय मैदान भारत की तटरेखा 6,000 किमी. लम्बी है. जो पश्चिम में कच्छ के रन से पूर्व में गंगा ब्रह्मपुत्र डेल्टा तक विस्तृत है. प्रायद्वीपीय पठार की पश्चिमी  एवं पूर्वी सीमा तथा भारतीय तटरेखा के बीच स्थित को पश्चिमी तटीय मैदान संकरे मैदान को तटीय मैदान कहते है. पश्चिमी तट रेखा से पश्चिमी घाट के

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प्रायद्वीपीय पठार

भारत का प्रायद्वीपीय पठार एक अनियमित त्रिभुजाकार आकृति है. जिसका आधार उत्तर की ओर है तथा शीर्ष दक्षिण में कन्याकुमारी द्वारा बनाया जाता है. इसकी उत्तरी सीमा एक अनियमित सीमा रेखा है जो कच्छ से अरावली पर्वत के पश्चिमी छोर को छूती हुई दिल्ली के निकट पहुंचती है. इसके बाद यमुना तथा गंगा के सामानांतर

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